किस्मत का लिखा मिटा सका है कौन...??
इससे न राजा छुटा..न रंक...!!
तक़दीर हर किसी की होती है दोस्त...
चाहे तू जितना चाहे जहाँ..
या चलाना हो सिर्फ एक घर...!!
सजा सिर्फ तेरी गरीबी नहीं देती...
नींद उसे भी नहीं जो सब को सपने बेचता है...!!
किस्मत ने रुसवाई हर किसी की है..
तू महोब्बत कर...
ये जिन्दगी तो खेल है...सोच ले...
कभी हार है...तो कभी जित है...
माना किस्मत का लिखा मिट नहीं सकता ...
तू अपनी तरफ उसे मोड़ता चल...
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